मामला देशराज नारंग इंटर कॉलेज वाल्टरगंज का


बस्ती :शिक्षा विभाग के ग्रह कुछ ठीक नहीं चल रहे. रोज ब रोज कोई न कोई खुलासा होता जा रहा है।चाहे एक ही नाम पर कई अध्यापकों के काम करने का सवाल हो,या फिर एक ही अध्यापक के कई नाम या फिर 69000 की भर्ती परीक्षा हो या अब बिना अहर्ता के प्रधानचार्य बन कर सेवानिवृत्त हो कर पेंशन भुगतान ले लेना । 


  माध्यमिक शिक्षा विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। केंद्रीय विद्यालय के प्राइमरी सेक्शन से अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने वाला शिक्षक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय का प्रिंसिपल बन बैठा। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) की जांच में यह खुलासा हुआ है।


मामला देशराज नारंग इंटर कॉलेज वाल्टरगंज का है। प्रिंसिपल को सात दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ने नोटिस जारी किया है। 


 मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि सहायक आयुक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन अलीगंज के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार रमेश चंद्र सिंह की प्रथम नियुक्ति 26 अगस्त 1988 को प्राथमिक शिक्षक के पद पर हुई थी और स्वैच्छिक सेवानिवृत्त तक वह इसी पद पर कार्यरत रहे. इसी पद के वेतनमान के अनुसार पेंशन भुगतान आदेश भी जारी हुआ है।


2008 में इनका चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से प्रिंसिपल के पद पर हुआ और तैनाती देशराज नारंग इंटर कॉलेज वाल्टरगंज में हो गयी।. 


  नोटिस में कहा गया है कि इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के पद की निर्धारित अर्हता प्रशिक्षित परास्नातक के साथ उच्चतर कक्षाओं में कम से कम चार साल शिक्षण कार्य का अनुभव होना जरूरी है।


 रमेश सिंह पर आरोप है कि इन्होंने गलत तरीके से पीजीटी शिक्षक का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत कर अनियमित तरीके से प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति करा ली।


 पूरे मामले पर जेडी माध्यमिक मनोज द्विवेदी ने बताया कि आरटीआई से जानकारी मांगने पर मालूम हुआ है कि रमेश चंद्र सिंह केंद्रीय विद्यालय में प्राथमिक शिक्षक के पद पर तैनात थे तथा उसी पद से रिटायर होकर पेंशन हासिल कर रहे हैं।


 सिंह को पूरे दस्तावेजों के साथ तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।नोटिस जारी होने के बाद रमेश चंद्र पास एक सप्ताह का समय है